सियासी ड्रामा / छतरपुर ने भाजपा काे दी ज्यादा चोट, घाटशिला चक्रधरपुर में भी आजसू की घुसपैठ नहीं आई रास

रांची (बिनाेद ओझा). छतरपुर से टिकट काटने के बाद भी भाजपा विधायक राधाकृष्ण किशाेर काे आजसू पार्टी में शामिल कराना और फिर उन्हें आजसू पार्टी का टिकट देना भाजपा काे रास नहीं आई। इसके बाद घाटशिला से भाजपा द्वारा प्रत्याशी उतारने के बावजूद आजसू ने गुरुवार काे प्रदीप बलमुचू काे घाटशिला से चुनाव लड़ने के लिए पार्टी में शामिल कर लिया। वह भी तब जबकि भाजपा का पिछले चुनाव में इसपर कब्जा था और भाजपा ने लखन मार्डी काे उम्मीदवार घाेषित कर दिया था।


भाजपा ने इसे काफी गंभीरता से लिया। राधाकृष्ण किशाेर के आजसू जॉइन करने और सिंबल लेने के पहले तक आजसू और भाजपा के बीच सीटाें काे लेकर भले ही बारगेन चल रही थी, लेकिन गठबंधन की स्थिति कमाेवेश कायम थी। क्याेंकि हुसैनाबाद आजसू की प्रारंभिक लिस्ट में नहीं था। बसपा विधायक कुशवाहा शिवपूजन मेहता के आजसू में शामिल हाेने के बाद आजसू ने उस पर दावा किया। पाकुड़ पर भी आजसू ने दावा किया। इन दाेनाें सीटाें से भाजपा काे फर्क नहीं पड़ रहा था, इसलिए भाजपा ने इसपर ज्यादा ध्यान नहीं देकर इसे नजर अंदाज किया था।


पहले 26, फिर 19 और अंत में 17 पर भी नहीं बात बनी
इसके पूर्व भाजपा की सहयाेगी आजसू गंठबंधन के लिए 81 में से 26 सीटाें का टार्गेट लेकर चली, लेकिन भाजपा के शीर्ष नेताओं से बातचीत के बाद पहले 19, फिर 17 सीटाें पर राजी हुई, लेकिन बात बनी नहीं। एक ओर सीटाें के बंटवारे काे लेकर बातचीत हाेती रही, दूसरी ओर भाजपा ने पहली सूची जारी कर दी। चंदनकियारी, लाेहरदगा और चक्रधरपुर सीट आजसू चाहती थी, लेकिन भाजपा ने पहली सूची में चक्रधरपुर से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ काे प्रत्याशी घाेषित कर दिया, लेकिन चंदनकियारी और लाेहरदगा सीट काे हाेल्ड पर रखा।


फिर क्या था आजसू ने भी अपनी पहली सूची जारी कर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के खिलाफ न सिर्फ प्रत्याशी की घाेषणा कर दी, बल्कि  लाेहरदगा से प्रत्याशी का नामांकन भी करा दिया। इसके साथ ही भाजपा के विधायक राधाकृष्ण किशाेर का टिकट कटते ही आजसू ने जैसे ही उन्हें न सिर्फ अपना लिया बल्कि उन्हें अपना प्रत्याशी भी बना दिया। उससे अंदर ही अंदर दाेनाें दलाें की तल्खी काफी बढ़ गई। इसके बाद भी आजसू पार्टी नहीं रुकी। कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष मानस सिन्हा काे भवनाथपुर के सिंबल दे दिया। यह अलग बात है कि सिंबल समय पर नहीं पहुंच पाने की वजह से मानस अाजसू पार्टी का नाम नामांकन पत्र में लिखने के बाद भी निर्दलीय उम्मीदवार बन गए।


पार्टी छोड़ने-पकड़ने के ग्राफ से तल्खी बढ़ी


जिस तरह से भाजपा, झामुमाे, कांग्रेस छाेड़कर कई दिग्गज नेताओं ने आजसू का दामन थाम लिया, ताे आम लाेगाें के बीच आजसू का ग्राफ तेजी से आगे बढ़ता चला गया। सुदेश महताे का मनाेबल भी बढ़ा। इस तरह एक-एक कर गंठबंधन की गांठ खुलती गई और भाजपा के साथ गठबंधन धीरे-धीरे टूट की ओर बढ़ता गया। फिर भी दाेनाें पार्टियाें के नेता साफ बाेलने से परहेज करते रहे।